Guru Ka Kark Rashi Mein Gochar
गुरु का मिथुन और कर्क राशि में गोचर: 2025 और उसके बाद के बड़े ज्योतिषीय बदलाव
ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। यह ज्ञान, धन, संतान, विवाह, भाग्य और धर्म का कारक ग्रह है। गुरु का गोचर यानी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना, सभी 12 राशियों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। गुरु लगभग 13 महीने तक एक राशि में रहता है और इस प्रकार एक राशि चक्र को पूरा करने में लगभग 12 साल का समय लेता है। आने वाले वर्षों में, गुरु के दो महत्वपूर्ण गोचर होने वाले हैं – पहला 2025 में मिथुन राशि में और दूसरा उसके बाद कर्क राशि में। आइए इन गोचरों के प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।
गुरु का मिथुन राशि में गोचर 2025
वर्ष 2025 में, देवगुरु बृहस्पति मई के महीने में मेष राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। मिथुन राशि वायु तत्व की द्वि-स्वभाव राशि है, जिसका स्वामी बुध है। बुध और गुरु के बीच मित्रता का संबंध नहीं है, लेकिन दोनों ही ग्रह ज्ञान और बुद्धि से संबंधित हैं। मिथुन राशि में गुरु का गोचर बौद्धिक विकास, संचार कौशल में वृद्धि और नई चीजों को सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है। इस दौरान लोग अधिक जिज्ञासु होंगे और विभिन्न विषयों पर जानकारी जुटाने में रुचि लेंगे। हालांकि, द्वि-स्वभाव राशि होने के कारण निर्णय लेने में कुछ दुविधा या अनिश्चितता भी देखने को मिल सकती है। इस गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए जानते हैं:
मेष राशि: गुरु आपकी राशि से तीसरे भाव में गोचर करेंगे, जो पराक्रम, संचार और छोटे भाई-बहनों का भाव है। इस दौरान आपके संचार कौशल में वृद्धि होगी और आप अपनी बातों को प्रभावी ढंग से रख पाएंगे। यात्राओं के योग बनेंगे और छोटे भाई-बहनों से संबंध मधुर होंगे। लेखन और मीडिया से जुड़े लोगों को लाभ मिल सकता है।
वृषभ राशि: आपके लिए गुरु का यह गोचर दूसरे भाव में होगा, जो धन, परिवार और वाणी का भाव है। यह समय आर्थिक रूप से अनुकूल रहेगा। आपकी बचत में वृद्धि होगी और परिवार में खुशहाली का माहौल रहेगा। वाणी में मधुरता आएगी, जिससे सामाजिक संबंधों में सुधार होगा। पैतृक संपत्ति से लाभ की संभावना भी है।
मिथुन राशि: गुरु आपकी लग्न राशि यानी पहले भाव में गोचर करेंगे। यह आपके व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और सामान्य जीवन पर सीधा प्रभाव डालेगा। आप अधिक आशावादी और ज्ञानी महसूस करेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा। नए अवसरों की तलाश में रहेंगे और व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
कर्क राशि: आपके लिए गुरु का यह गोचर बारहवें भाव में होगा, जो व्यय, विदेश यात्रा और आध्यात्मिकता का भाव है। इस दौरान आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है, खासकर धार्मिक या परोपकारी कार्यों पर। विदेश यात्रा के योग बनेंगे और आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रुचि बढ़ेगी। कुछ अनचाहे खर्चों पर नियंत्रण रखना महत्वपूर्ण होगा।
सिंह राशि: गुरु आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में गोचर करेंगे, जो आय, लाभ, मित्र और इच्छापूर्ति का भाव है। यह समय आपके लिए आर्थिक रूप से बेहद शुभ रहेगा। आपकी आय के स्रोतों में वृद्धि होगी और लंबे समय से अधूरी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। मित्रों और बड़े भाई-बहनों का सहयोग मिलेगा।
कन्या राशि: आपके लिए गुरु का यह गोचर दसवें भाव में होगा, जो कर्म, व्यवसाय, पद और पिता का भाव है। करियर में उन्नति के योग बनेंगे और आपको नए अवसर प्राप्त होंगे। कार्यक्षेत्र में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और आप महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होंगे। पिता के साथ संबंधों में सुधार होगा।
तुला राशि: गुरु आपकी राशि से नवें भाव में गोचर करेंगे, जो भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा और लंबी यात्राओं का भाव है। यह समय आपके लिए भाग्यशाली रहेगा। आपको धर्म-कर्म के कार्यों में रुचि होगी और उच्च शिक्षा के अवसर मिलेंगे। लंबी दूरी की यात्राएं फलदायी होंगी और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होगी।
वृश्चिक राशि: आपके लिए गुरु का यह गोचर आठवें भाव में होगा, जो आयु, गुप्त विद्या, अनुसंधान और अचानक लाभ-हानि का भाव है। इस दौरान आपको गूढ़ विषयों में रुचि हो सकती है। पैतृक संपत्ति से लाभ या अचानक धन प्राप्ति के योग बन सकते हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
धनु राशि: गुरु आपकी राशि से सातवें भाव में गोचर करेंगे, जो विवाह, साझेदारी और व्यावसायिक संबंधों का भाव है। यह समय विवाह के इच्छुक लोगों के लिए शुभ रहेगा। व्यावसायिक साझेदारियों में सफलता मिलेगी और नए संबंध स्थापित होंगे। जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता आएगी।
मकर राशि: आपके लिए गुरु का यह गोचर छठे भाव में होगा, जो शत्रु, ऋण, रोग और सेवा का भाव है। इस दौरान आपको अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। ऋण संबंधी मामलों में राहत मिल सकती है। स्वास्थ्य में सुधार होगा, लेकिन कुछ छोटी-मोटी परेशानियां आ सकती हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए अनुकूल समय है।
कुंभ राशि: गुरु आपकी राशि से पांचवें भाव में गोचर करेंगे, जो संतान, शिक्षा, प्रेम संबंध और सट्टा का भाव है। यह समय विद्यार्थियों के लिए उत्तम रहेगा। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी और संतान प्राप्ति के योग बन सकते हैं। रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलेगी और निवेश से लाभ की संभावना है।
मीन राशि: आपके लिए गुरु का यह गोचर चौथे भाव में होगा, जो माता, भूमि, भवन और सुख का भाव है। इस दौरान आपको घर-परिवार में सुख-शांति मिलेगी। माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा और उनके साथ संबंध मधुर होंगे। भूमि या वाहन खरीदने के योग बन सकते हैं। घर के नवीनीकरण पर विचार कर सकते हैं।
गुरु का कर्क राशि में गोचर
मिथुन राशि में अपना गोचर पूर्ण करने के बाद, गुरु लगभग एक वर्ष बाद कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, संभवतः 2026 के मध्य में। कर्क राशि गुरु की उच्च राशि मानी जाती है, जिसका अर्थ है कि इस राशि में गुरु अत्यंत बलवान और शुभ फलदायी होते हैं। कर्क राशि जल तत्व की चर राशि है, जिसका स्वामी चंद्रमा है। चंद्रमा और गुरु के बीच मित्रता का संबंध है, जिससे यह गोचर और भी अधिक शुभ हो जाता है।
कर्क राशि में उच्च का गुरु व्यक्ति को अत्यधिक भावनात्मक, संवेदनशील, दयालु और परोपकारी बनाता है। यह गोचर पारिवारिक सुख, संपत्ति, भूमि और मानसिक शांति में वृद्धि करता है। इस दौरान लोग अधिक आध्यात्मिक और धार्मिक प्रवृत्तियों वाले होते हैं। सामाजिक और मानवीय कार्यों में रुचि बढ़ती है। यह गोचर धन-धान्य, संतान सुख और जीवन में समग्र खुशहाली लाता है। मिथुन राशि के बौद्धिक और तार्किक प्रभाव के बाद, कर्क राशि का गुरु भावनात्मक और पोषण संबंधी पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा, जिससे जीवन में संतुलन स्थापित होगा।
निष्कर्ष
गुरु के ये दोनों गोचर – Guru Ka Kark Rashi Mein Gochar और उसके बाद कर्क राशि में – बड़े ज्योतिषीय बदलाव लाएंगे। जहां मिथुन का गुरु बौद्धिक विकास, संचार और नई सीख पर जोर देगा, वहीं कर्क का उच्च का गुरु भावनात्मक स्थिरता, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करेगा। इन गोचरों के दौरान, व्यक्तियों को अपनी राशि के अनुसार शुभ फलों को प्राप्त करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। गुरु के शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए, गुरुवार को पीली वस्तुओं का दान करना, गुरु मंत्र का जाप करना और बड़ों व गुरुजनों का सम्मान करना लाभकारी होता है। यह समय आत्म-चिंतन और व्यक्तिगत विकास के लिए भी उत्तम रहेगा।
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